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Monday, 1 March 2021

बसंत का घोटाला!

 

【संदर्भ-: अभी-अभी फरवरी के महीने ने रुखसत ली है।फरवरी माह में दिनांक 27 को दिल्ली का तापमान 31.7℃ पहुँच गया था।】


बसंत ऋतु का नाम सुनते ही मन का उपवन खिल उठता है।ठीक वैसे ही जैसे संसद में किसी भी सामाजिक योजना का नाम सुनकर आम-जन को महसूस  होता है। जैसे बसंत के आगमन से लगता है कि हमारे चारों तरफ खुशहाली फैल जाएगी और माहौल खुशबुनुमा हो जाएगा, ठीक वैसे ही योजनाओं के नाम सुनकर लगता है अब हमारी समस्याएँ जो हमारे किराए के  घर में स्थाई रूप से एक कमरा लेकर बैठी है वो अब घरविहीन हो जाएगी और हमसब आराम से इस जीवन में समस्या के बिना भी जीवित रहने का अपना सपना पूरा कर सकेंगे!


लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।जो हो पाता है उसे घोटाला कहते हैं।उल्टा, हमारी समस्याएँ जो एक घर में बैठी हुई थी अब खटिया लेकर उसपर सो जाती हैं और हमलोग खटिया से जमीन पर आ जाते हैं। इस बार बसंत के साथ भी ऐसा ही हुआ। 

प्रकृति के संसद में यह योजना बनी कि धरती पर अनेक समस्याओं से पीड़ितों के लिए इसबार  सुहाना मौसम का रिलीफ पैकेज जारी किया जाएगा और आमजन आनंद का सुख लें इसके लिए बसंत को अधिक दिनों के लिए धरती पर प्रवास करवाया जाएगा। सबकुछ तय हो गया। बसंत को धरती पर पहुँचाने का टेंडर भी पास हो गया।हमारे यहाँ टेंडर-ठिका नेताओं के या बड़े लोगों के सम्बन्धियों को देने की परंपरा है।हमलोग परम्परा प्रेमी हैं और उसमें भरोसा रखते हैं तथा सदैव परम्परा का स्टेटस-को बनाये रखते हैं। इसलिए परम्परा का पालन करते हुए बसंत को धरती पर भेजने का ठिका गर्मी के एक सम्बन्धी को मिल गया। अब बस धरती पर बसंत को समूल पहुँचाने का काम रह गया था। बसंत धरती पर अपने प्रस्थान करने की तैयारी ही कर रहा था तबतक  ऊपर से फोन आया, हमारे यहाँ कुछ भी अच्छा होने वाला होता है तो ऊपर से फोन आ जाता है और ऊपर में जो बैठा होता है उसे अच्छा करने में अच्छा नहीं लगता है। खैर, बसंत को ऐसा कहा गया कि- "इसबार उसे धरती पर भेजा नहीं जाएगा, उसे ऊपर से नीचे तक बैठे बाबुओं के बीच कमीशन के रूप में बांटा जाएगा तथा जनता को मूर्ख बनाया जाए इसके लिए धरती पर उसका सिर्फ चेहरा दिखाकर,  गर्मी को पीछे से भेज दिया जाएगा क्योंकि गर्मी जी हमें चुनाव में अधिक चंदा देते हैं।" हमारे यहाँ की ऐतिहासिक परम्परा रही है कि चुनावी चंदा देने वालों को नेता अपना बाप मानते हैं और उनके लिए ये नेता दस-बीस करोड़ जनता की जान भी ये कहते हुए ले सकते हैं कि- "हमारा ये जान-धन लेने की योजना  राष्ट्रहित में है और ये लोग इस देश में जनसख्या बढ़ाने का दुःसाहस कर रहे थे और ये निर्थक ही सांस लेकर देश के ऑक्सीजन स्तर को कम कर रहे थे! ये विदेशी साजिश में भी शामिल थे और सबसे महत्वपूर्ण बात कि ये धरती पर बोझ बने हुए थे, इसलिए इन्हें मारकर धरती का बोझ हल्का कर दिया।"


जैसा होना था वैसा ही हुआ, बाजे-गाजे के साथ बसंत रूपी योजना को हाथी-ठीकेदार (ठीकेदार हाथी जैसा ही होता है।आमजन रूपी कुत्ता उसपे भौंकते रहते हैं उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि 'ऊपर' में उसके भी मौसा जी बैठे होते हैं जो उसे फर्क पड़ने नहीं देते।) पर बैठा के जनता के सामने लाया गया। जनता खुशी से ठीक वैसे ही झूम रही थी जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना में घर पास होने पर एक गृहविहीन खुश होता है।जश्न में लोग जयकारे लगा रहे थे।आ गए अच्छे दिन!आ गए अच्छे दिन! हम सभी जानते हैं कि खुशी से झूमते लोगों को कुछ दिखाई नहीं देता इसलिए तो उन्हें बढ़ती पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दाम में भी कोई न कोई देशहित होता दिखाई देता है! इसी मौके का लाभ उठाकर हाथी-ठीकेदार ने अपने सूढ़ से बसंत को पकड़कर दूर नेताओं के बंगलों की तरफ फेंक दिया।सुख का जन्मसिद्ध अधिकार इस लोकतंत्र में सिर्फ नेताओं और उनके टुच्चे लोगों को ही होता है क्योंकि वो दिन-रात जनता के खून चूसने का काम करते हैं!अब इधर खुशी से नाचते लोगों के ऊपर जब गर्मी का ताप रूपी झापड़ पड़ा तब जाकर कहीं उनकी चेतना वापस लौटी। 

तभी पसीना पोछते हुए एक विपक्षी दल के कार्यकर्ता ने कहा- इस बार बसंत का घोटाला हो गया! हम सरकार से इसपर एक उच्चस्तरीय सरकारी जाँच कमीशन बैठाने की मांग करते हैं।

25 comments:

  1. बहुत बढ़िया!

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    1. बहुत धन्यवाद।🙏

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    1. बहुत शुक्रिया विविधा जी आपका🙏

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  3. वाह! साहित्य में समकालीन तंतुओं को सहेजकर उस पर व्यंग्य का अद्भुत वितान बीनने के सुखद दिनों की वापसी के शुभ लक्षण के रूप में यह लेख मील का एक महत्वपूर्ण पत्थर साबित होगा। आपकी अद्भुत लेखनी से ऐसे लेखों की आगे भी प्रतीक्षा रहेगी और आशा है आप अपने पाठकों की इस आशा को सदैव जीवित रखेंगे। हाँ, अपने ब्लॉग में फॉलो का भी विकल्प रखिये, ताकि आपके प्रशंसक पाठक आपका अनुसरण कर आपसे जुड़े रहें। बधाई और आभार!!!

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    1. फूफा जी प्रणाम।आपसे बहुत कुछ सिखता हूँ।ऐसे ही आपकी छत्रछाया प्राप्त होती रहे।आपके आशीष का आकांक्षी।🙏

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    1. धन्यवाद भाई।🙏

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    2. धन्यवाद भाई।🙏

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद आपका।🙏

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  6. अभिनंदन और सुस्वागतम प्रिय मारुत जी। ब्लॉग की दुनिया में आप जैसे युवा रचनाकारों का आना साहित्य में शुभ दिनों की आमद का प्रतीक है। आपके लेख के माध्यम से आपकी लेखनी की प्रखरता का आभास सहज ही हो गया। व्यंग लेखन बहुत कम होता है पर आशा है व्यंग और अन्य विधाओं की आपकी ये फुलवाडी यूँ ही खिलकर प्रबुद्धजनों के बीच अपनी पहचान बनायेगी। हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए 💐💐🙏💐💐

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    1. आदरणीया मैम प्रणाम।अपने प्रेरक शब्दों से आशीष देने केलिए आपका हृदयतल से धन्यवाद।सदैव आपका मार्गदर्शन मिलता रहे।🙏😊

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  7. बहुत सुन्दर व्यंगात्मक सृजन ।

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    1. मैम चरणवंदना।सदैव अपना आशीर्वाद बनाये रखिये।बहुत धन्यवाद आपका।🙏😊

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  8. बहुत ही बढ़िया व्यंग्य,

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    1. बहुत धन्यवाद।🙏

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  9. वाह व्यंग्य की तीक्ष्ण धार से सत्यता को उद्घाटित करता लेख

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    1. चरणस्पर्श मैम।आपको कोटिशः धन्यवाद।अपना आशीष बनाये रखिये।आपके मार्गदर्शन का आकांक्षी हूँ।🙏😊

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