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Wednesday, 1 May 2019

एक माँ का एक बेटे को ख़त .....

ये बिटवा,
वहाँ अब कुछ वैसा नहीं है जैसा कि तुम उस जगह को छोड़ आये थे।गलियों में कंक्रीट की परत चढ़ गई है।बारिश के बाद हाँथ-पैर तो गंदे नहीं होते लेकिन मिट्टी की ओ सौंधी सी खुशबू जो नाकों में पहुँच कर पूरे शरीर में गांव को भर देती थी अब ओ नहीं आती।जिन सड़को पर हल्की सी बूंदा-बांदी के बाद खेत जोतने जा रही बैलें फंस जाया करती थी और तू घंटों अपनी स्कूल छोड़कर उसके निकालने की प्रक्रिया देखता रहता था वहाँ पर पिच की सड़कें बन गई हैं और अब जरा सी धूप के बाद  आग फेंकती हैं मानो वो अब धरती माँ नहीं ताड़का बन गई हों।

जिन नदियों के पानी में पूरे गाँव  के बच्चे नहाते  वक्त प्यास लगने पर उसकी पानी को पी लिया करते थे अब उसमें नालियाँ बहती है और लोगों की तो दूर की बात है अब भैंसें भी उनकी पानी को सूँघकर बिना पिये अपना मुख मोड़ लेती हैं।

गर्मियों में जिन आम के बगीचे के पेड़ों पर तू अपनी भूख-प्यास की परवाह किये बिना डोल-पत्ता खेलते रहता था अब उन पेड़ो की कुर्सियां,टेबल और पलंगे बन गईं हैं अब खैर अब वहाँ कोई बगीचा बचा तो नहीं है पर खाली जगह देखकर उग आईं झाड़ियों व झुरमुटों के आड़ में बच्चे बचपने को भुलाकर जुआ-ताड़ी व वैभिचार को अपना रहे हैं।

गाँव में जहाँ पहले भोर होते हीं बच्चे व गौरैया के चहचहाहट की आवाजें आती थी आज सुबह जगने पर बुजुर्गों के कराहने और अस्थमा से खांसने की आवाज आती है।बच्चों को देखे महीनों बीत जाते हैं।और उस  गौरैया को जिसके साथ तू घंटो अपनी स्कूल की बातें किया करता था वो तो न जाने कबसे हमें छोड़ कहीं चली गई है।विकास तो हुआ है लेकिन लगता है इस तथाकथित "विकास" ने डायन बनकर मेरे गाँव को खा गई है।

तुझे तेरी रमनी काकी,मोती चाचा और बाकी सब आज भी याद करते हैं और मानते भी हैं।गाँव खंडहर बने उससे पहले तू कुछ कर,एक काम कर तू गाँव आजा अपने बच्चों को लेकर;तू शुरुआत तो कर शायद फिर से गांव,गाँव जैसा लगने लगे।मुझे नहीं चाहिए एसी, मैं ताड के पंखे से बनी "हाँथ-पंखा" से काम चला लूंगी,तुझे गर्मी लगेगी तो मैं रातभर तेरे सिरहाने बैठ पंखा झलूंगी।तू आजा बेटा, मुझे मेरे गाँव लौटा दे।बस तू आजा इससे पहले की ये गाँव बूढ़ा बनकर खत्म हो जाये,तू आज बेटा!
तुम्हारी
अम्मा

5 comments:

  1. गजब बा हो गांव के बाते अलग रही लेकिन जानतअ अभियो हमार गांव वइसने बा गरमी में आम के गाछी में मचान एगो कमंडल में पानी ले के बच्चा आ बूढा आम धो धो के खाता है भोरे सब झोला ले के आम टिकला (कच्चा आम) बिछने जाता है

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    1. बिल्कुल प्रमित भाई, अगर जनत कहीं पर है तो वह गाँव में है।गाँव के जैसा कोई जगह नहीं जहाँ आप आनन्द प्राप्त कर सकें।

      गाँव को गाँव बनाये रखना हीं आजकल के इस दौड़-भाग में भागते युवाओं के लिए चुनौती है।

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  2. अद्भुत, अप्रतिम, अनोखा
    Incredible

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    1. Thank you so much!
      keep supporting.LOVE and REGARDS.

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  3. अरे बहुत बढ़िया रे इयरओ!

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