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Friday, 14 February 2020

प्रेम पत्र भाग-५(पाँच)



हे मेरी फुलगोभिया!

चढ़ रहे सेलाइन में घुले हुए ऑक्सीजन के प्रत्येक अणुओं जितना प्यार भेज रहा हूँ और इस पत्र के माध्यम से यह अज़ान दे रहा हूँ कि आई लभ जु भेरी भेरी मच।

जय श्री राधे।तुम्हारा पुराना पत्र रामधनी काका से भी मिला था लेकिन उसका जवाब न दे सका इसलिए एक क्षमा-दान चाहता हूँ।उम्मीद है क्षमा-दान करने में कंजूसी नही करोगी और मेरी झोली क्षमा से भर दोगी।

इस बार तुम्हारे एक भ्राता श्री आदरणीय परम् प्रतापी गाजर सिंह ब्रो के माध्यम से तुम्हारे द्वारा लिखित तुम्हारा नवका पिरेम पत्र मिला।पत्र में अंकित तुम्हारे  प्रेम से लबालब एक-एक शब्दों ने तुम्हारे भाई की लाठियों से मृत पड़ी मेरी सभी सेलों को जीवित कर दिया।पुराने पत्र में तुम्हारी बेल्ट से  हुई कुटाई से उत्पन्न तुम्हारे दर्द और कष्ट के बारे में पता चला था।दुःख हुआ जानकर कि तुम्हारी कुटाई बहुत हुई मेरे कारण,माफ़ करना।आशा करता हूँ अबतक तुम ठीक होकर फिर से फूलगोभी की तरह खिल गई होगी।

इस बार मिले पत्र को पढ़कर मुझे बहुत ही गर्व हो रहा है कि तुम्हारे जैसी मुझे प्रेमिका मिली है।तुम जिस तरह से मुझपर भरोसा करती हो उसे देखकर लगता है कि मैं तुम्हारे प्यार रूपी आम चुनाव में मोदी जी की तरह प्रचंड बहुत से विजयी प्राप्त अवश्य करूँगा।चाहे मेरे खिलाफ कितने ही विरोध-प्रदर्शन क्यों न हो जाये!इधर से मैं भी  इस पिरेम पत्र के माध्यम से अपने शब्दों में लपेट के प्रेम-औषधियाँ भेज रहा हू
हूँ,जो तुम्हें और बल और हमारे पिरेम को स्थायित्व प्रदान करने हेतु तुम्हारी कोशिशों को  सम्बल प्रदान करेगा।

एक बात कहना चाहूँगा कि तुम्हारे पिता जी हैं बहुत निर्दयी किस्म के।जान को जान नहीं बुझते और न ही शरीर को शरीर।उधर तुमको बेल्ट से पिटे और इधर तुम्हारे भाइयों को कहरक मुझे लाठियों से कुटवा दिए।देह तहस-नहस हो गया है लेकिन तुम्हारे प्रेम पर भरोसा है और उम्मीद करते हैं कि तुमने जो पिरेम पत्र के माध्यम से प्रेम और स्नेह को शब्दों में गूथ कर भेजा है उससे मेरे टूटी हुई हड्डियों का वेल्डिंग धीरे-धिरे हो जाएगा।

तुम्हारे गाँव का एक लड़का जिसका नाम मटर है वो कह रहा था कि तुमने जो गोबर का गोइठा(उपले) सूखने के लिए अपने घर के पीछे वाली गली में  रखी थी वो किसी ने चुरा लिया।सुनकर दुख हुआ।

आजकल रात में मेरी नींद बिस्तर से बिछड़ के तेरी यादों के गाँव में छउर पर बैठा तेरी सपनों में खोया रहता है।वैलेंटाइन सप्ताह चल रहा था तो हमको पिछले वर्ष वाला वैलेंटाइन के दिन वाला बात याद आ गया कि कैसे हमको और तुमको बजरंग दल वालों में दौड़ा-दौड़ा के कुटा था।

तुम्हारे भाइयों के द्वारा की गई पिटाई के कारण इसबार हमलोग वैलेंटाइन दिवस साथ में नहीं मना पाएँगे।इसका मुझे खेद है।जल्दी मिलूँगा और वो भी तुम्हारे बाबू जी से किये वादे के साथ।

तुम्हारे भाई के द्वारा बरसाई गई लाठियों की हर बौछार में मैन तुम्हें ही याद किया है।इस पर दो लाइन लिख रहा हूँ कि-
"पिटाई से टूट कर हो चुका हूँ चूर,फिर भी तुमसे प्यार करता हूँ भरपूर।"

तुमसे हुमच के प्यार करने वाला और दिल के बहतरों धड़कनों पर तेरा नाम लिख चुका,तुम्हारा
गुलकंद
गाँव-राईगंज, जिला-कटहलपुर
चुकंदर प्रदेश



फ़ोटो-गूगल



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